गुरुवार, 17 नवंबर 2016

बाजार में नगदी की स्थिति आने वाले सात महीनों में भी सामान्य नहीं होगी


-पी. चिदम्बरम

आज से ही भारत सरकार ने बैंकों से नोटों को बदलने की संख्या को कम करके फिर 2500 की जगह 2000 रुपये कर दिया है। इसके बावजूद तमाम जगहों की खबरों से पता चल रहा है कि बैंकों की जरूरत के बराबर राशि कहीं नहीं पहुंच रही है।

इसकी क्या वजह है ? आज राज्य सभा टीवी पर पूर्व वित्त मंत्री पी चिदम्बरम की बातों से साफ था कि इसकी एकमात्र वजह यह है कि सरकार के पास देने के लिये पर्याप्त संख्या में नोट ही नहीं है। और, आने वाले सात महीनों तक यही स्थिति बनी रहेगी।

हमने जब भारत में करेंसी नोटों की छपाई की क्षमता के बारे में तथ्यों की जांच की तो हमने भी चिदम्बरम साहब की बात को शत प्रतिशत सही पाया।

भारत के सारे करेंसी नोट मध्य प्रदेश के दिवास, महाराष्ट्र के नासिक, कर्नाटक के मैसूर और पश्चिम बंगाल के साल्बनी में सरकार के सिक्युरिटी प्रिटिंग प्रेसों में छपते हैं। और इन नोटों के लिये कागज बनता है मैसूर के बैंक नोट पेपर मिल इंडिया प्राइवेट लिमिटेड में, जो संयुक्त क्षेत्र की कंपनी है।

500 और 1000 के नोट मूल्य के लिहाज से कुल नगदी की राशि का 86 प्रतिशत है रहे हैं लेकिन संख्या के लिहाज से ये कुल नोटों की संख्या का 25 प्रतिशत थे जो कुल मिला कर 2200 करोड़ के करीब बैठते हैं।

2015-16 में इन सभी चारों प्रेसों में कुल 2100 करोड़ नोट छापे गये थे, जिसे अब तक का रेकर्ड उत्पादन कहा जाता है। अगर सारे प्रैस अपनी पूरी ताकत से दिन-रात काम करें तब भी यह अनुमान लगाया जाता है कि एक साल में इनमें अधिक से अधिक 2300 करोड़ नोट छप सकते हैं।

हम सब जानते हैं कि सरकार सारे नये नोट 2000 के नहीं निकालने वाली है। जैसी कि घोषणा की गई है, 2000 के साथ ही 500 के नये नोट भी निकाले जायेंगे। अब तक 500 के नये नोट बहुत ही मामूली संख्या में बाजार में आए हैं। यदि जल्द से जल्द इनकी संख्या नहीं बढ़ाई जाती है, तो 2000 के नोटों का छुट्टा कराने की एक और बड़ी भारी सामाजिक समस्या देखने को मिलेगी क्योंकि 100 के जितने नोट उपलब्ध है उनसे वह काम नहीं हो सकेगा। इसीलिये चिदम्बरम साहब ने बिल्कुल सटीक आकलन करके कहा है कि पुराने सभी नोटों को बदलने के बजाय बाजार में सिर्फ नगदी की स्थिति को सामान्य रखने के लिये ही जितने नये करेंसी नोटों की जरूरत है, उन्हें दिन-रात काम करके छापने में भी कम से कम सात महीना समय लगेगा। अर्थात बाजार में नगदी की समस्या आगामी सात महीनों तक बनी रहेगी।

जाहिर है, मोदी जी के इस मनमाने फैसले से पूरी अर्थ-व्यवस्था अचल नहीं होगी तो क्या होगा ?

इन तथ्यों को इस निम्न लिंक से जांचा जा सकता है :
https://factly.in/capacity-currency-printing-presses/



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